Ganesh Visarjan 2024 कब है: तिथि, समय, अनुष्ठान, कहानी और महत्त्व?

Praful Sharma
19 Min Read

Ganesh Visarjan 2024

गणेश विसर्जन क्या है?

Ganesh Visarjan 2024 हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे गणेश चतुर्थी के बाद मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति का जल में विसर्जन किया जाता है। विसर्जन का अर्थ है किसी चीज़ को विदा करना या वापस लौटाना, और इसी भाव से भक्त अपने प्रिय भगवान गणेश को जल में विसर्जित करते हैं ताकि वे अपने धाम वापस जा सकें। इस पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व अत्यंत गहरा है, क्योंकि यह श्रद्धालुओं के जीवन में सुख-समृद्धि और बाधाओं का नाश करने की आस्था को प्रकट करता है।

Contents
Ganesh Visarjan 2024गणेश विसर्जन क्या है?Ganesh Visarjan 2024 का महत्त्वGanesh Visarjan 2024 की तिथिGanesh Visarjan 2024 के शुभ समयGanesh Visarjan 2024 के प्रमुख अनुष्ठानगणेश पूजामंत्रोच्चारणआरतीजुलूसगणेश विसर्जन की कथागणेश जी का जन्म और शिव–पार्वती की कथामहाभारत में गणेश जी की भूमिकागणेश विसर्जन की परंपराएंशास्त्रों के अनुसार विसर्जन का महत्त्वगणेश विसर्जन का आध्यात्मिक पक्षविसर्जन के दौरान कौन–कौन से मंत्रों का उच्चारण किया जाता है?गणेश मंत्रमोदक अर्पण और मंत्रोच्चारणGanesh Visarjan 2024 पर्यावरण के प्रति जागरूकताइको–फ्रेंडली गणेश विसर्जनजल प्रदूषण और समाधानों पर चर्चाGanesh Visarjan 2024 में सावधानियांसुरक्षा उपायभारत में गणेश उत्सव कैसे मनाया जाता है?गणेश मूर्ति की स्थापना:समाजसेवा और भक्ति का प्रसार:गणेश विसर्जन:गणेश विसर्जन के बाद क्या करें?पूजा घर की सफाईप्रसाद वितरणगणेश विसर्जन से जुड़ी आस्था और आशीर्वादगणेश जी के आशीर्वाद का महत्त्वजीवन में बाधाओं का नाशनिष्कर्ष: गणेश विसर्जन की धार्मिक और सांस्कृतिक प्रासंगिकताFAQs:

Ganesh Visarjan 2024 का महत्त्व

गणेश विसर्जन केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में नकारात्मकता और बाधाओं को दूर करने का प्रतीक भी है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं होता और त्याग का महत्त्व कितना महत्वपूर्ण है। गणेश जी को विदाई देते समय, भक्त अपनी सभी समस्याओं और कठिनाइयों को भी जल में प्रवाहित कर देते हैं, जिससे जीवन में नयी शुरुआत का संकेत मिलता है।

Ganesh Visarjan 2024

Ganesh Visarjan 2024 की तिथि

Ganesh Visarjan 2024 में अनंत चतुर्दशी के दिन, जो सितंबर 17, 2024 को पड़ रही है, मनाया जाएगा।

गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी – मंगलवार, 17 सितंबर, 2024

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ                – 16 सितंबर, 2024 – 03:10 अपराह्न

चतुर्दशी तिथि समाप्त              – 17 सितंबर, 2024 – 11:44 पूर्वाह्न

गणेश चतुर्थी से आरंभ होने वाले इस उत्सव में लोग 1.5, 3, 5, 7, 9 या 11 दिनों के लिए गणपति की मूर्ति अपने घरों या पंडालों में स्थापित करते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विसर्जन करते हैं।

Ganesh Visarjan 2024 के शुभ समय

Ganesh Visarjan 2024 के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्त्व है। इस दिन भगवान गणेश का विसर्जन शुभ समय में करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है। 2024 में, विसर्जन का शुभ मुहूर्त

सुबह का मुहूर्त: 09:11 AM से 01:47 PM

दोपहर का मुहूर्त: 03:19 PM से 04:51 PM

शाम का मुहूर्त: 07:51 PM से 09:19 PM

रात्रि का मुहूर्त: 10:47 PM से 03:12 AM (18 सितंबर)

माना जाता है कि इस अवधि के दौरान विसर्जन करने से अनुष्ठान के आध्यात्मिक लाभ में वृद्धि होती है।गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक का समय

गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक के 10 दिन भगवान गणेश के भक्तों के लिए अत्यंत शुभ होते हैं। इन दिनों में भक्त भगवान गणेश की पूजा, भजन और आरती करते हैं और उनकी कृपा पाने की कोशिश करते हैं।

Ganesh Visarjan 2024 के प्रमुख अनुष्ठान

गणेश पूजा

गणेश विसर्जन से पहले, एक विशेष गणेश पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान गणेश को मोदक, फूल, और नारियल अर्पित किए जाते हैं। इस पूजा का उद्देश्य भगवान गणेश को सम्मानपूर्वक विदाई देना होता है।

मंत्रोच्चारण

विसर्जन के समय गणेश मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इनमें प्रमुख हैं – “ॐ गण गणपतये नमः” और “वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः”। इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए गणेश जी को जल में प्रवाहित किया जाता है।

आरती

पूजा के बाद गणेश जी की अंतिम आरती की जाती है। इस आरती के दौरान लोग गणपति बप्पा मोरया के जयकारे लगाते हैं और गणेश जी की मूर्ति को विसर्जन के लिए जलाशय की ओर ले जाते हैं।

जुलूस

प्रतिमा को नृत्य और “गणपति बप्पा मोरया” के जयघोष के साथ एक भव्य जुलूस में निकाला जाता है।

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Ganesh Visarjan 2024

गणेश विसर्जन की कथा

गणेश जी का जन्म और शिवपार्वती की कथा

गणेश विसर्जन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भगवान गणेश से जुड़ी कई कथाओं में मिलता है। मुख्य रूप से, यह अनुष्ठान भगवान गणेश के पृथ्वी पर आगमन और उनकी विदाई के साथ जुड़ा है। गणेश विसर्जन की कथा का संबंध भगवान गणेश के जन्म और उनके माता-पिता भगवान शिव और देवी पार्वती के साथ है। आइए, इसके पीछे की पौराणिक कथा को समझते हैं:

एक बार देवी पार्वती ने स्नान करने का विचार किया और उन्होंने अपनी मैल से एक मूर्ति बनाई। इस मूर्ति को उन्होंने एक बालक का रूप दिया और उसमें प्राण फूंक दिए। यही बालक भगवान गणेश थे। पार्वती ने गणेश को आदेश दिया कि वे द्वार पर पहरा दें और किसी को भी अंदर आने न दें।

जब भगवान शिव वहां पहुंचे और द्वार पर गणेश को देखा, तो उन्होंने भीतर जाने का प्रयास किया। गणेश जी ने उन्हें रोक दिया क्योंकि उन्हें अपनी माता पार्वती के आदेश का पालन करना था। यह देखकर भगवान शिव को क्रोध आया और उन्होंने गणेश का सिर काट दिया।

देवी पार्वती को जब यह पता चला तो वे अत्यधिक दुखी हो गईं। पार्वती के शोक से पूरा संसार संकट में आ गया। तब भगवान शिव ने स्थिति को संभालने के लिए गणेश को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया। उन्होंने गणेश जी के धड़ पर एक हाथी का सिर लगा दिया और उन्हें पुनर्जीवित किया। इस प्रकार, गणेश जी का जन्म हुआ और उन्हें “विघ्नहर्ता” (सभी बाधाओं को दूर करने वाले) के रूप में पूजा जाने लगा।

महाभारत में गणेश जी की भूमिका

गणेश जी ने महाभारत को महर्षि वेदव्यास के मुख से सुनकर लिखा था। उन्हें बुद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है, और उनकी पूजा किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले की जाती है।

गणेश विसर्जन की परंपराएं

शास्त्रों के अनुसार विसर्जन का महत्त्व

शास्त्रों में कहा गया है कि गणेश विसर्जन के माध्यम से भक्त अपने जीवन की समस्याओं और बाधाओं को भगवान गणेश के साथ जल में प्रवाहित करते हैं। यह आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक प्रगति का प्रतीक है।

गणेश विसर्जन का आध्यात्मिक पक्ष

गणेश विसर्जन केवल भौतिक रूप से मूर्ति को जल में प्रवाहित करना नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने का एक माध्यम है। विसर्जन के दौरान भक्त भगवान गणेश से प्रार्थना करते हैं कि वे उनके जीवन की सभी बाधाओं को दूर करें।

विसर्जन के दौरान कौनकौन से मंत्रों का उच्चारण किया जाता है?

गणेश मंत्र

गणेश विसर्जन के समय “ॐ गण गणपतये नमः” और “वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः” मंत्रों का जाप किया जाता है। इन मंत्रों का उद्देश्य भगवान गणेश को प्रसन्न करना और उनकी कृपा प्राप्त करना होता है।

मोदक अर्पण और मंत्रोच्चारण

विसर्जन के समय गणेश जी को मोदक का प्रसाद अर्पित किया जाता है, क्योंकि यह उनका प्रिय भोजन माना जाता है। इसके साथ ही, भक्त गणेश जी के मंत्रों का उच्चारण करते हैं और उनकी कृपा की कामना करते हैं।

Ganesh Visarjan 2024 पर्यावरण के प्रति जागरूकता

इकोफ्रेंडली गणेश विसर्जन

आजकल, पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इको-फ्रेंडली गणेश मूर्तियों का प्रचलन बढ़ रहा है। ये मूर्तियाँ प्राकृतिक सामग्री से बनाई जाती हैं और जल में घुलनशील होती हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचता।

जल प्रदूषण और समाधानों पर चर्चा

Ganesh Visarjan 2024के दौरान जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या है, और इसे रोकने के लिए सरकार और सामाजिक संगठनों द्वारा कई उपाय किए जा रहे हैं। इको-फ्रेंडली मूर्तियों का उपयोग और सामूहिक विसर्जन इस दिशा में बड़े कदम हैं।

Ganesh Visarjan 2024

Ganesh Visarjan 2024 में सावधानियां

सुरक्षा उपाय

गणेश विसर्जन हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। इस दौरान श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ भगवान गणेश की मूर्ति को जल में विसर्जित करते हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है ताकि यह अनुष्ठान सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल हो। यहां कुछ सावधानियां दी जा रही हैं जो विसर्जन के समय ध्यान में रखी जानी चाहिए:

प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करें:

  • गणेश मूर्ति को बनाते समय प्राकृतिक सामग्री जैसे मिट्टी, प्राकृतिक रंग और अन्य बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं का उपयोग करें ताकि जल प्रदूषण न हो।
  • पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) से बनी मूर्तियों से बचें क्योंकि यह पानी में घुलने में समय लेता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है।

जलस्रोत का ध्यान रखें:

  • मूर्ति का विसर्जन पास के तालाब, नदी या समुद्र में करने की बजाय कृत्रिम जलाशयों या टैंकों में करें, ताकि प्राकृतिक जलस्रोतों में प्रदूषण कम हो।
  • कई नगर पालिकाओं द्वारा गणेश विसर्जन के लिए विशेष टैंक उपलब्ध कराए जाते हैं, उनका उपयोग करें।

प्लास्टिक और अन्य कचरे से बचें:

  • विसर्जन के दौरान प्लास्टिक बैग, सजावटी वस्तुएं या अन्य अव्यवस्थित सामग्री जल में न डालें।
  • पूजा सामग्री को भी पर्यावरण के अनुकूल तरीके से विसर्जित करें, और अगर संभव हो तो इसे कम्पोस्टिंग के लिए अलग रखें।

सुरक्षा का ध्यान रखें:

  • विसर्जन स्थल पर भीड़भाड़ से बचें और शांतिपूर्ण तरीके से अनुष्ठान को पूरा करें।
  • पानी में प्रवेश करते समय विशेष ध्यान दें। गहरे या उथले पानी में गिरने से बचें, और छोटे बच्चों को पानी से दूर रखें।
  • विसर्जन के दौरान यदि नाव या किसी तैराकी उपकरण का उपयोग कर रहे हों, तो उसकी सुरक्षा की जांच कर लें।

समूह में विसर्जन करें:

  • गणेश विसर्जन के लिए एकत्रित होकर समूह में जाना सुरक्षित होता है। इससे कोई अप्रिय घटना होने पर एक-दूसरे की मदद की जा सकती है।
  • विसर्जन के समय स्थानीय प्रशासन और बचाव टीमों के निर्देशों का पालन करें।

ध्वनि और वायु प्रदूषण से बचें:

  • विसर्जन के दौरान डीजे और तेज आवाज वाले लाउडस्पीकरों का उपयोग न करें। इससे ध्वनि प्रदूषण फैलता है और वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • पटाखों का उपयोग करने से बचें, क्योंकि इससे वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है।

प्रार्थना और आभार:

  • विसर्जन से पहले भगवान गणेश को विदाई देने के लिए प्रार्थना करें और उनका आभार व्यक्त करें। गणेश जी से आशीर्वाद प्राप्त करें और समाज एवं पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने का संकल्प लें।

गणेश विसर्जन एक धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान है, जिसे सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से किया जाना चाहिए। इससे न केवल हमारे जल स्रोतों की सुरक्षा होती है, बल्कि हमारी आस्था भी सुदृढ़ होती है।

भारत में गणेश उत्सव कैसे मनाया जाता है?

गणेश उत्सव भारत में एक प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में अत्यधिक धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अब पूरे देश और विश्वभर में इसके प्रति श्रद्धा बढ़ गई है।

गणेश उत्सव की शुरुआत गणेश चतुर्थी से होती है, जो कि भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व लगभग 10 दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। आइए जानें, भारत में गणेश उत्सव को कैसे मनाया जाता है:

गणेश मूर्ति की स्थापना:

  • गणेश चतुर्थी के दिन, श्रद्धालु अपने घरों या सार्वजनिक स्थानों पर भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति स्थापित करते हैं।
  • स्थापना से पहले पूरे घर और पूजा स्थल की सफाई और सजावट की जाती है। पंडालों में रंग-बिरंगी लाइट्स, फूलों और अन्य सजावटी सामग्री से सजावट की जाती है।
  • मूर्ति की स्थापना के बाद मंत्रोच्चार और भक्ति गीतों के साथ विधिवत पूजा की जाती है। इसके बाद श्रद्धालु भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और अन्य प्रसाद अर्पित करते हैं।

दैनिक पूजा और आरती:

  • गणेश उत्सव के दौरान प्रतिदिन सुबह और शाम भगवान गणेश की पूजा और आरती की जाती है। इसमें पूरे परिवार या पंडाल में श्रद्धालु मिलकर भाग लेते हैं।
  • पूजा के समय गणपति मंत्रों, भजनों और आरती के साथ भगवान गणेश का स्वागत किया जाता है। मोदक, फल, फूल, दूर्वा घास और लड्डू भगवान गणेश को अर्पित किए जाते हैं।
  • भक्ति गीतों और आरती के साथ यह पूजा अत्यधिक हर्षोल्लासपूर्ण और आध्यात्मिक माहौल बनाता है।

पंडालों की सजावट और सांस्कृतिक कार्यक्रम:

  • बड़े-बड़े पंडालों में गणेश जी की भव्य मूर्तियों की स्थापना की जाती है। इन पंडालों में तरह-तरह के सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
  • भव्य सजावट के साथ गणेश जी के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। कुछ पंडालों में मूर्ति की ऊंचाई 20 से 30 फीट तक होती है।
  • पंडालों में भक्ति संगीत, नाटक, धार्मिक भाषण और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें लोग बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।

समाजसेवा और भक्ति का प्रसार:

  • गणेश उत्सव के दौरान कई समाजसेवी कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं, जैसे कि रक्तदान शिविर, भोजन वितरण, स्वच्छता अभियान, आदि।
  • इस समय, विभिन्न सामाजिक संगठन और भक्त समुदाय समाज सेवा कार्यों में भी हिस्सा लेते हैं, जिससे समाज में आपसी सहयोग और एकता की भावना को बढ़ावा मिलता है।

गणेश विसर्जन:

  • 10वें दिन, जिसे अनंत चतुर्दशी कहते हैं, भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। यह विसर्जन जलाशयों जैसे नदी, समुद्र, या कृत्रिम तालाब में किया जाता है।
  • विसर्जन के समय, श्रद्धालु बड़े जुलूस के साथ “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” के नारों के साथ भगवान गणेश की विदाई करते हैं।
  • इस जुलूस में लोग ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते और रंग गुलाल उड़ाते हुए गणपति बप्पा को विदा करते हैं।

गणेश विसर्जन के बाद क्या करें?

पूजा घर की सफाई

विसर्जन के बाद घर की सफाई करना और पूजा स्थल को पवित्र करना आवश्यक होता है। इस समय भक्त घर की साफ-सफाई कर भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

प्रसाद वितरण

विसर्जन के बाद भक्त अपने मित्रों और रिश्तेदारों को प्रसाद वितरित करते हैं। यह प्रसाद भगवान गणेश की कृपा का प्रतीक होता है।

गणेश विसर्जन से जुड़ी आस्था और आशीर्वाद

गणेश जी के आशीर्वाद का महत्त्व

गणेश विसर्जन के समय भक्त भगवान गणेश से आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं। उनका मानना है कि गणेश जी की कृपा से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

जीवन में बाधाओं का नाश

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं और कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं।

निष्कर्ष: गणेश विसर्जन की धार्मिक और सांस्कृतिक प्रासंगिकता

गणेश विसर्जन न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इस पर्व के माध्यम से भक्त अपनी आस्था और श्रद्धा को प्रकट करते हैं और भगवान गणेश से जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। विसर्जन के साथ ही यह संदेश भी मिलता है कि जीवन में नकारात्मकता और कठिनाइयों का त्याग करके आगे बढ़ना चाहिए।

FAQs:

  1. Ganesh Visarjan  क्यों किया जाता है?
    गणेश विसर्जन भगवान गणेश को विदा करने का प्रतीक है, जो जीवन में नकारात्मकता और बाधाओं को दूर करने की मान्यता से जुड़ा है।
  2. Ganesh Visarjan 2024 की तिथि क्या है?
    गणेश विसर्जन 2024 में 17 सितंबर को मनाया जाएगा।
  3. Ganesh Visarjan के दौरान कौन से मंत्रों का जाप किया जाता है?
    विसर्जन के दौरान “ॐ गण गणपतये नमः” और “वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः” जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है।
  4. इकोफ्रेंडली Ganesh Visarjan क्या है?
    इको-फ्रेंडली विसर्जन का मतलब प्राकृतिक सामग्री से बनी मूर्तियों का विसर्जन है, जो जल में घुलनशील होती हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचातीं।

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