Vishwakarma Jayanti 2024
विश्वकर्मा जयंती क्या है?
विश्वकर्मा जयंती हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की तेरस तिथि को भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख एक शुभ हिंदू त्यौहार है, जो भगवान विश्वकर्मा, जोकि हिंदू धर्म में शिल्पकारों और निर्माण के देवता माने जाते हैं, की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह दिन खासकर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो निर्माण कार्य, मशीनरी, और हस्तशिल्प उद्योग से जुड़े हुए हैं। विश्वकर्मा जयंती पर लोग अपनी मशीनों, औजारों और काम की जगहों की पूजा करते हैं, ताकि आने वाले साल में उन्हें समृद्धि और सफलता मिले।
Vishwakarma Jayanti 2024 की तिथि?
Vishwakarma Jayanti 2024 पूजा को लेकर लोगों के बीच में इस बार कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। हर साल भाद्रपद मास में सूर्ज जब सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करते हैं तो विश्वकर्मा पूजा मनाई जाती है। हर साल 17 सितंबर को यह पूजा की जाती है। लेकिन इस बार लोगों के मन में 16 सितंबर को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। इस बार सूर्य 16 सितंबर की शाम को 7 बजकर 29 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए विश्वकर्मा जयंती अगले दिन यानी कि 17 सितंबर को मनाई जाएगी।
भगवान विश्वकर्मा कौन हैं?
पौराणिक कथा और महत्व
भगवान विश्वकर्मा का जन्म माघ महीने की त्रयोदशी के दिन हुआ था, जो प्राचीन ग्रंथों के अनुसार ग्रेगोरियन कैलेंडर में जनवरी या फरवरी के महीने में आता है। भगवान विश्वकर्मा को हिंदू धर्म में देवताओं के प्रमुख वास्तुकार और शिल्पकार के रूप में पूजा जाता है। उन्हें ब्रह्मांड का निर्माता और अद्वितीय शिल्पकला का देवता माना जाता है। विश्वकर्मा की पौराणिक कथा और महत्व हिंदू धर्म के ग्रंथों में गहराई से जुड़े हुए हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में:
पौराणिक कथा:
जन्म: भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्माजी का पुत्र माना जाता है, और उन्हें देवताओं के लिए दिव्य महल, अस्त्र-शस्त्र, और यंत्रों का निर्माण करने के लिए प्रसिद्ध माना जाता है। उनके जन्म की कथा कई पुराणों में मिलती है। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने दुनिया को आकार दिया और देवताओं के लिए अद्भुत निर्माण कार्य किए।
विश्वकर्मा का वास्तुकला में योगदान:
- स्वर्ग लोक: विश्वकर्मा ने इंद्र के लिए स्वर्ग का निर्माण किया, जो देवताओं का निवास स्थान है। इसकी सुंदरता और वास्तुकला अद्वितीय थी।
- लंका नगरी: रामायण के अनुसार, लंका का निर्माण भी विश्वकर्मा ने किया था, जिसे उन्होंने रावण को उपहार में दिया था। यह नगरी सोने की थी और अद्वितीय वास्तुकला का एक महान उदाहरण है।
- द्वारका: महाभारत में वर्णित है कि भगवान कृष्ण के लिए विश्वकर्मा ने समुद्र के ऊपर द्वारका नगरी का निर्माण किया था। यह एक सुंदर और सुरक्षित नगरी थी।
- इंद्रप्रस्थ: महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध से पहले विश्वकर्मा ने पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ का निर्माण किया, जो अपनी अद्भुत शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध था।
विश्वकर्मा जयंती का ऐतिहासिक महत्व
विश्वकर्मा जयंती का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह तकनीकी और सामाजिक विकास से भी जुड़ा हुआ है। प्राचीन काल में भगवान विश्वकर्मा की पूजा उन लोगों द्वारा की जाती थी जो निर्माण और शिल्पकला से जुड़े होते थे। कालांतर में, यह पर्व हर प्रकार के कामगारों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन बन गया, जहां वे अपने औजारों और मशीनों की पूजा करते हैं।
भारत में विश्वकर्मा जयंती का पर्व
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विश्वकर्मा जयंती:
- उत्तर भारत: उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और राजस्थान में यह पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। कारखानों और दुकानों में विश्वकर्मा पूजा होती है।
- पूर्वी भारत: पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और असम में भी यह पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है। यहाँ श्रमिक वर्ग और कारीगर अपने कार्यस्थलों पर विशेष पूजा का आयोजन करते हैं।
- दक्षिण भारत: कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में भी यह पर्व मनाया जाता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां कारीगर और शिल्पकार प्रमुख होते हैं।
- पूर्वोत्तर भारत: असम और त्रिपुरा में विश्वकर्मा पूजा एक बड़ा पर्व है, जहां बड़ी संख्या में लोग अपने कार्यस्थलों पर पूजा करते हैं।
उद्योगों और फैक्ट्रियों में पूजा का महत्व
- भारत के विभिन्न उद्योगों में विश्वकर्मा जयंती के दिन विशेष आयोजन होते हैं। कारखानों और कार्यालयों में पूजा की जाती है, और लोग भगवान विश्वकर्मा से अपने कार्यों की सफलता के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
- इस दिन इंजीनियरिंग, निर्माण, ऑटोमोबाइल, और मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों में विशेष पूजा का आयोजन होता है, और श्रमिक अपने उपकरणों की साफ-सफाई करते हैं और उनका अनुष्ठानिक रूप से पूजन करते हैं।
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विश्वकर्मा जयंती की पूजा विधि
पूजा सामग्री
विश्वकर्मा जयंती की पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है, जैसे धूप, दीपक, फूल, रोली, अक्षत, और भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र। इसके साथ ही अपने कार्यस्थल पर मौजूद मशीनों और औजारों को भी साफ कर पूजा में शामिल किया जाता है।
पूजा के दौरान मान्य अनुष्ठान
विश्वकर्मा जयंती पर, भक्त सुबह जल्दी उठकर, स्नान करके और सूर्योदय से पहले नए कपड़े पहनकर अपना दिन शुरू करते हैं।
- कार्यस्थल की सफाई: श्रमिक और कारीगर अपने कार्यस्थलों को अच्छी तरह से साफ करते हैं और सजाते हैं, औजारों और मशीनों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इन उपकरणों को पूजा से पहले फूलों और जीवंत सजावट से सजाया जाता है।
- पूजा और प्रसाद: भक्त पंडालों (अस्थायी वेदियों) में भगवान विश्वकर्मा की मूर्तियाँ या चित्र के सामने धूप-दीप जलाया जाता है और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद मशीनों पर तिलक लगाकर उनकी पूजा की जाती है। कारखानों, कार्यालयों और कार्यशालाओं में विशेष पूजा की जाती है, जिसमे श्रमिक और मालिक दोनों मिलकर इस पूजा में भाग लेते हैं। आने वाले सफल वर्ष के लिए देवता का आशीर्वाद लेने के लिए मिठाई, फल और अन्य प्रसाद चढ़ाए जाते हैं।
- मंत्रों का जाप: इस दिन “ओम आधार शक्तपे नमः”, “ओम कुमायी नमः” और “ओम अनंतम नमः” जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है। इसके बाद, पूजा के दौरान व्यवसाय से जुड़े औजारों, मशीनरी और स्पेयर पार्ट्स की पूजा की जाती है।
- औजारों का उपयोग नहीं: औजारों की पूजा करने के बाद, उन्हें पूरे दिन इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह औजारों के प्रति सम्मान का प्रतीक है, जो काम में उनके महत्व और उन्हें बनाए रखने में की जाने वाली देखभाल का प्रतीक है।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा कौन करता है?
हिंदुओं के अनुसार, शिल्पकार, लोहार, वेल्डर, मैकेनिक, फैक्ट्री कर्मचारी, इंजीनियर, आर्किटेक्ट आदि के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे सभी लोग अपने-अपने क्षेत्रों में सफलता और मशीनों के सुचारू संचालन के लिए प्रार्थना करते हैं। वे कारीगरी की अवधारणा को शक्ति की अवधारणा से जोड़ते हैं और अपने कार्यस्थल में अपने काम से जुड़े औजारों और मशीनों की पूजा करते हैं। इसके बाद, सभी श्रमिकों के बीच प्रसाद वितरित किया जाता है और भगवान की कृपा के लिए पूजा की जाती है।
विश्वकर्मा जयंती एक सम्मान और कृतज्ञता का दिन है जहाँ लोग दिव्य कला को स्वीकार करते हैं, इसलिए लोग रचनात्मकता और श्रम की भावना को बड़ी भक्ति और खुशी के साथ मनाते हैं।
वर्तमान में विश्वकर्मा जयंती का प्रभाव
वर्तमान समय में, विश्वकर्मा जयंती केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह दिन कामगारों और श्रमिकों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। यह दिन उनके द्वारा किए गए कठिन परिश्रम की सराहना का भी प्रतीक है। इसके साथ ही, इस दिन लोग यह संकल्प लेते हैं कि वे अपनी कार्यक्षमता को और बेहतर करेंगे।
Vishwakarma Jayanti 2024 की विशेष तैयारियाँ
Vishwakarma Jayanti 2024 पर विशेष तैयारियाँ की जा रही हैं, खासकर उन जगहों पर जहाँ तकनीकी विकास हो रहा है। इस साल, कई उद्योगों में डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके पूजा की जाएगी और पर्यावरण अनुकूल तरीकों से इसे मनाने की योजना बनाई जा रही है।
विश्वकर्मा जयंती का सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण
उद्योगों के विकास में योगदान
विश्वकर्मा जयंती का उद्योगों में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। यह दिन उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो निर्माण और उत्पादन से जुड़े हुए हैं। उद्योगों में यह दिन श्रमिकों और मालिकों के बीच सहयोग और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
श्रमिकों के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है?
विश्वकर्मा जयंती श्रमिकों के लिए एक उत्सव है, जहाँ वे अपने काम के प्रति आभार प्रकट करते हैं। इस दिन वे अपनी मेहनत को सराहते हैं और आने वाले दिनों में और अधिक परिश्रम और सफलता की कामना करते हैं। यह दिन उनके लिए अपने काम में आत्मविश्वास और शक्ति का संचार करता है।
समृद्धि और सफलता का प्रतीक:
भगवान विश्वकर्मा को शिल्प, वास्तुकला, और निर्माण के देवता के रूप में पूजा जाता है, और उनके आशीर्वाद से कारीगर और श्रमिक वर्ग को अपने कार्यों में समृद्धि और उन्नति की प्राप्ति होती है। विश्वकर्मा जयंती भारत के विभिन्न हिस्सों में परिश्रम, दक्षता, और रचनात्मकता का उत्सव है, जो सभी प्रकार के कारीगरों और श्रमिकों के जीवन में विशेष महत्व रखता है।
भगवान विश्वकर्मा और आधुनिक विज्ञान
भगवान विश्वकर्मा का योगदान केवल धार्मिक संदर्भ तक सीमित नहीं है। आधुनिक विज्ञान और तकनीकी विकास में उनकी रचनात्मकता और शिल्पकला की प्रेरणा देखी जा सकती है। आज के समय में इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर में उनकी दृष्टि का सम्मान किया जाता है।
Vishwakarma Jayanti 2024 और आत्मनिर्भर भारत
Vishwakarma Jayanti 2024 का संबंध भारत के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य से भी है। यह दिन उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपने काम में निपुणता और नवीनता लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आत्मनिर्भर भारत के अभियान में भी इस दिन का महत्व विशेष रूप से रेखांकित किया जाता है।
Vishwakarma Jayanti 2024 पर विशेष संदेश
Vishwakarma Jayanti 2024 का संदेश है कि हम अपने कार्य के प्रति समर्पित रहें और हर कार्य को पूरी निष्ठा और सृजनात्मकता के साथ करें। यह दिन हमें याद दिलाता है कि मेहनत और सृजनात्मकता से ही हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
Vishwakarma Jayanti 2024 और पर्यावरण संरक्षण
Vishwakarma Jayanti 2024 के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी महत्वपूर्ण है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दौरान, लोग प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर पर्यावरण को संरक्षित करने का संकल्प लेते हैं। उद्योगों में भी इस दिन स्वच्छता और हरित तकनीकों के उपयोग पर विशेष जोर दिया जाता है।
विभिन्न उद्योगों में विश्वकर्मा की भूमिका
चाहे वह निर्माण क्षेत्र हो, इंजीनियरिंग हो, या फिर फैशन डिजाइनिंग, भगवान विश्वकर्मा की पूजा सभी शिल्पकारों के लिए प्रेरणा है। हर उद्योग में उनकी भूमिका प्रमुख मानी जाती है, और लोग उन्हें अपने क्षेत्र के संरक्षक के रूप में देखते हैं।
निष्कर्ष
विश्वकर्मा जयंती केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह सृजन, मेहनत और निष्ठा का प्रतीक है। 2024 में यह पर्व और भी खास होने वाला है, जब उद्योगों में नई तकनीक और स्थिरता पर जोर दिया जाएगा। भगवान विश्वकर्मा की पूजा हमारे जीवन में न केवल आध्यात्मिक बल्कि व्यावसायिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
FAQs
- Vishwakarma Jayanti 2024 कब मनाई जाती है?
विश्वकर्मा जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है। - विश्वकर्मा जयंती का धार्मिक महत्व क्या है?
इस दिन भगवान विश्वकर्मा, जोकि निर्माण और सृजन के देवता हैं, की पूजा की जाती है। - क्या केवल मशीनों से जुड़े लोग ही विश्वकर्मा जयंती मनाते हैं?
नहीं, यह त्योहार हर वो व्यक्ति मना सकता है जो किसी भी प्रकार के सृजन कार्य से जुड़ा हो। - विश्वकर्मा जयंती के दौरान कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
इस दिन लोग मशीनों और औजारों की पूजा करते हैं और भगवान विश्वकर्मा से समृद्धि और सुरक्षा की कामना करते हैं। - विश्वकर्मा जयंती का आधुनिक संदर्भ क्या है?
आधुनिक संदर्भ में, यह दिन कामगारों, श्रमिकों और उद्योगों के लिए विशेष महत्व रखता है और इसे नए तकनीकी विकास और आत्मनिर्भरता से जोड़ा जाता है।
पीएम विश्वकर्मा योजना क्या है?
पीएम विश्वकर्मा एक सरकारी कार्यक्रम है जिसे प्रधानमंत्री ने 17 सितंबर, 2023 को अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले लोगों, जैसे कारीगरों और शिल्पकारों की मदद के लिए शुरू किया था।
यह योजना उन लोगों के लिए है जो विभिन्न व्यवसायों में काम करते हैं, जैसे बढ़ई, नाव बनाने वाले, लोहार और कई अन्य। इसमें कुल 18 अलग-अलग व्यवसाय शामिल हैं।
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कारीगरों और शिल्पकारों के लिए लाभ:
- मान्यता: कारीगरों और शिल्पकारों को एक विशेष प्रमाणपत्र और एक पहचान पत्र मिलेगा।
- कौशल सुधार: उन्हें 5-7 दिनों के लिए बुनियादी प्रशिक्षण और 15 दिनों या उससे अधिक के लिए उन्नत प्रशिक्षण मिलेगा, साथ ही 500 रुपये का दैनिक वजीफा भी मिलेगा।
- टूलकिट सहायता: अपने बुनियादी कौशल प्रशिक्षण की शुरुआत में, उन्हें ई-वाउचर के रूप में 15,000 रुपये तक का टूलकिट प्रोत्साहन मिलेगा।
- वित्तीय सहायता: वे अपना व्यवसाय शुरू करने या बढ़ाने के लिए 3 लाख रुपये तक का ऋण प्राप्त कर सकते हैं। ऋण का पहला भाग, 1 लाख रुपये तक, किसी भी संपार्श्विक (जैसे संपत्ति) प्रदान करने की आवश्यकता के बिना है। ब्याज दर 5% पर कम है, और सरकार 8% ब्याज के साथ मदद करती है। बुनियादी प्रशिक्षण पूरा करने और कुछ आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद, वे ऋण के दूसरे भाग तक पहुँच सकते हैं।
- डिजिटल लेनदेन बोनस: प्रत्येक डिजिटल भुगतान या रसीद के लिए, उन्हें प्रति माह अधिकतम 100 लेनदेन तक अतिरिक्त 1 रुपया मिलेगा।
- मार्केटिंग सहायता: उन्हें अधिक ग्राहकों से जोड़ने के लिए गुणवत्ता प्रमाणन, ब्रांडिंग, ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर बिक्री और विज्ञापन जैसी मार्केटिंग में सहायता।
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